
रंग कब बिगड़ सका उनका
रंग लाते दिखलाते हैं ।
मस्त हैं सदा बने रहते ।
उन्हें मुसुकाते पाते हैं ।।
भले ही जियें एक ही दिन ।
पर कहा वे घबराते हैं ।
फूल हँसते ही रहते हैं ।
खिला सब उनको पाते हैं ।।
~ अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
Oct 12, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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