
नसीब आजमाने के दिन आ रहे हैं
क़रीब उनके आने के दिन आ रहे हैं
जो दिल से कहा है, जो दिल से सुना है
सब उनको सुनाने के दिन आ रहे हैं
अभी से दिल-ओ-जाँ सर-ए-राह रख दी
कि लुटने लुटाने के दिन आ रहे हैं
टपकने लगी उन निगाहों से मस्ती
निगाहें चुराने के दिन आ रहे हैं
सबा फिर हमें पूछती फिर रही है
चमन को सजाने के दिन आ रहे हैं
चलो फ़ैज़ फिर से कहीं दिल लगायें
सुना है ठिकाने के दिन आ रहे हैं.
~ फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
Mar 19, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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