
अंतिम निमंत्रण आज है!
वरदान पाने के लिए,
निर्माण पाने के लिए,
युग-युग तुम्हारे पास पंछी नीड़ में आता रहा
अंतिम निमंत्रण आज है!
लघु श्वास के दो तार पर,
विश्वास के आधार पर,
जड़ विश्व के चेतन नियम हंस भूल ठुकराता रहा
अंतिम निमंत्रण आज है!
संतोष पलकों से ढुलक,
बहता रहा था शाम तक,
नीरव निशा के शून्य में दृग-सिंधु यह गाता रहा।
~ गोरख नाथ
Apr 26, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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