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Friday, April 8, 2016

रेगिस्तानी आँखों में भी हैं



रेगिस्तानी आँखों में भी हैं तस्वीरें पानी की
क्या-क्या पेश करूँ बतलाओ और नज़ीरें पानी की
* नज़ीरें=मिसालें

मिटने से भी मिट न सकेंगी चंद लकीरें पानी की
पत्थर पर मौजूद रहेंगी कुछ तहरीरें पानी की
*तहरीरें=लिखावट

ख़्वाबों को कतरा-कतरा हो जाना है, बह जाना है
पानी-पानी हो जाती हैं सब ताबीरें पानी कीं
*ताबीरें=व्यक्तीकरण, अर्थ लगाना

तैरना आता है लेकिन मैं डूब रहा हूँ दरिया में
पानी की ये लहरें हैं या हैं जंज़ीरें पानी की

दिल टूटा तो ख़ून बहेगा आँखों से आँसू की जगह
आँखों को ज़ख़्मी कर देती हैं शमशीरें पानी की
*शमशीर=तलवार

जाम हुए रौशन यूँ जैसे रौशन होते जाएँ चराग़
रंग-बिरंगी हमनें देखी हैं तासीरें पानी की
*तासीर=प्रभाव, छाप

धुंधला-धुंधला हो जाता है मंज़र जो भी हो गुलशन
आँखों में जब जश्न मनाती हैं तस्वीरें पानी की
*मंज़र=दृष्य

~ गोविन्द गुलशन


   Mar 25, 2015|e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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