आप के क़ुर्ब से पहले मुझे मालूम ना था
ज़िंदगी इतनी दिल-आवेज़ भी हो सकती है
*क़ुर्ब=ताल्लुक; दिल-आवेज़= मनमोहक
~ शकील अहमद ज़िया
Apr 29, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
ज़िंदगी इतनी दिल-आवेज़ भी हो सकती है
*क़ुर्ब=ताल्लुक; दिल-आवेज़= मनमोहक
~ शकील अहमद ज़िया
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