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Friday, April 8, 2016

एक आहट अभी दरवाज़े पे लहराई थी



एक आहट अभी दरवाज़े पे लहराई थी
एक सरगोशी अभी कानों से टकराई थी
एक ख़ुशबू ने अभी जिस्म को सहलाया था
एक साया अभी कमरे में मेरे आया था
और फिर नींद की दीवार के गिरने की सदा
और फिर चारों तरफ तेज़ हवा...!!

‍ ~ शहरयार


   Mar 29, 2015|e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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