
एक आहट अभी दरवाज़े पे लहराई थी
एक सरगोशी अभी कानों से टकराई थी
एक ख़ुशबू ने अभी जिस्म को सहलाया था
एक साया अभी कमरे में मेरे आया था
और फिर नींद की दीवार के गिरने की सदा
और फिर चारों तरफ तेज़ हवा...!!
~ शहरयार
Mar 29, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
No comments:
Post a Comment