चलो अच्छा हुआ काम आ गई दीवानगी अपनी
वरना ज़माने-भर को समझाने हम कहाँ जाते
क़तील अपना मुकद्दर ग़म से बेगाना अगर होता
तो फिर अपने पराए हम से पहचाने कहाँ जाते
~ क़तील शिफ़ाई
Apr 12, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
वरना ज़माने-भर को समझाने हम कहाँ जाते
क़तील अपना मुकद्दर ग़म से बेगाना अगर होता
तो फिर अपने पराए हम से पहचाने कहाँ जाते
~ क़तील शिफ़ाई
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