ग़ायब बहुत ऐ जाने-जहाँ रहते हो
मानिन्द नज़र हमसे निहाँ रहते हो
हर चंद कि आँखों में हो, दिल में हो तुम
मालूम नहीं पर कि कहाँ रहते हो।
*मानिन्द=जैसे; निहाँ=छुपे हुये; हर चंद=हर समय
~ अमीर मीनाई लखनवी
Dec 10, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
मानिन्द नज़र हमसे निहाँ रहते हो
हर चंद कि आँखों में हो, दिल में हो तुम
मालूम नहीं पर कि कहाँ रहते हो।
*मानिन्द=जैसे; निहाँ=छुपे हुये; हर चंद=हर समय
~ अमीर मीनाई लखनवी
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