Disable Copy Text

Friday, December 11, 2015

महकी हुई गुफ्तार में फूलों का

महकी हुई गुफ्तार में फूलों का तबस्सुम
बहकी हुई रफ्तार में झोकों की रवानी
मुमकिन है ख़िजाओं का तसव्वुर ही बदल दे
ऐ जाने - बहाराँ तेरी गुलपोश जवानी।

*गुफ्तार=बात चीत करने का ढंग, तौर-तरीका; तसव्वुर=कल्पना; गुलपोश=फूलों (जैसी)

~ क़तील शिफ़ाई

  Nov 29, 2015| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

No comments:

Post a Comment