महकी हुई गुफ्तार में फूलों का तबस्सुम
बहकी हुई रफ्तार में झोकों की रवानी
मुमकिन है ख़िजाओं का तसव्वुर ही बदल दे
ऐ जाने - बहाराँ तेरी गुलपोश जवानी।
*गुफ्तार=बात चीत करने का ढंग, तौर-तरीका; तसव्वुर=कल्पना; गुलपोश=फूलों (जैसी)
~ क़तील शिफ़ाई
Nov 29, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
बहकी हुई रफ्तार में झोकों की रवानी
मुमकिन है ख़िजाओं का तसव्वुर ही बदल दे
ऐ जाने - बहाराँ तेरी गुलपोश जवानी।
*गुफ्तार=बात चीत करने का ढंग, तौर-तरीका; तसव्वुर=कल्पना; गुलपोश=फूलों (जैसी)
~ क़तील शिफ़ाई
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