रूप की चाँदनी में नहाता रहा
वो तिमिर में कहीं जगमगाता रहा,
प्यार की उँगलियों से ज़रा छू लिया
देर तक आईना गुनगुनाता रहा।
~ कुँवर बेचैन
Dec 3, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
वो तिमिर में कहीं जगमगाता रहा,
प्यार की उँगलियों से ज़रा छू लिया
देर तक आईना गुनगुनाता रहा।
~ कुँवर बेचैन
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