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Friday, December 11, 2015

रूप की चाँदनी में नहाता रहा

रूप की चाँदनी में नहाता रहा
वो तिमिर में कहीं जगमगाता रहा,
प्यार की उँगलियों से ज़रा छू लिया
देर तक आईना गुनगुनाता रहा।

~ कुँवर बेचैन

  Dec 3, 2015| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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