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Friday, December 11, 2015

काश इक रोज़ तेरे तेरे कूचे में

काश इक रोज़ तेरे तेरे कूचे में
यूँ गिरूँ लड़खड़ा के मस्त-ओ-ख़राब
तू ये पूछे किसी से कौन है यह
और क्यों पी गया है इतनी शराब।

*मस्त-ओ-ख़राब=(शराब) पिया हुआ

~ अब्दुल हमीद अदम

  Dec 9, 2015| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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