एक कटाक्ष गांधी-वादी, प्रतिरोध रहित, एक तरफ़ा लड़ाई पर:
हो मुबारक हुज़ूर को गांधी,
ऐसे दुश्मन नसीब हों किसको?
कि पिटें खूब और सर न उठाएँ
और खिसक जाएँ जब कहो खिसको।
~ अकबर इलाहाबादी
Dec 8, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
हो मुबारक हुज़ूर को गांधी,
ऐसे दुश्मन नसीब हों किसको?
कि पिटें खूब और सर न उठाएँ
और खिसक जाएँ जब कहो खिसको।
~ अकबर इलाहाबादी
Dec 8, 2015| e-kavya.blogspot.com
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