एक ऐसा वक़्त भी आता है चाँदनी रात में
मेरा दिमाग़, मेरा दिल, कहीं नहीं होता
तेरा ख़याल भी ऐसा निखर के आता है
तेरा विसाल भी इतना हंसी नहीं होता।
*विसाल=मिलन
~ क़तील शिफ़ाई
Nov 17, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
मेरा दिमाग़, मेरा दिल, कहीं नहीं होता
तेरा ख़याल भी ऐसा निखर के आता है
तेरा विसाल भी इतना हंसी नहीं होता।
*विसाल=मिलन
~ क़तील शिफ़ाई
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