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Friday, December 11, 2015

एक ऐसा वक़्त भी आता है

एक ऐसा वक़्त भी आता है चाँदनी रात में
मेरा दिमाग़, मेरा दिल, कहीं नहीं होता
तेरा ख़याल भी ऐसा निखर के आता है
तेरा विसाल भी इतना हंसी नहीं होता।

*विसाल=मिलन

~ क़तील शिफ़ाई

  Nov 17, 2015| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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