
हम बलाएँ लिया करें उनकी, और हम पर बलाएँ वे लाएँ
है यही ठीक तो कहें किससे करें क्या चैन किस तरह पाएँ
किस तरह रंग में रंगें उनको, आह को कौन ढंग सिखलाएँ
जो पसीजे न आंसुओं से वे, क्यों कलेजा निकाल दिखलाएँ।
~ अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरीऔध'
Nov 24, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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