मुहब्बत ख़ुद-ब-ख़ुद इक रोज़ दिल का साज़ बन जाती
अगर दिल की हर इक धड़कन, तेरी आवाज़ बन जाती
सदा पी की, पपीहा काश इस अंदाज़ में देता
कि मुझ तक आते-आते वो तेरी आवाज़ बन जाती।
~ एकता शबनम
Nov 19, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
अगर दिल की हर इक धड़कन, तेरी आवाज़ बन जाती
सदा पी की, पपीहा काश इस अंदाज़ में देता
कि मुझ तक आते-आते वो तेरी आवाज़ बन जाती।
~ एकता शबनम
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