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Friday, December 11, 2015

दूर इक शहर में जब कोई भटकता



दूर इक शहर में जब कोई भटकता बादल
मेरी जलती हुई बस्ती की तरफ़ जाएगा
कितनी हसरत से उसे देखेंगी प्यासी आँखें
और वो वक़्त की मानिंद गुज़र जाएगा
*हसरत=लालसा; मानिंद=तरह

जाने किस सोच में खो जाएगी दिल की दुनिया
जाने क्या-क्या मुझे बीता हुआ याद आएगा
और उस शह्र का बे-फैज़ भटकता बादल
दर्द की आग को फैला के चला जाएगा
*बे-फैज़=कंजूस

~ अहमद फ़राज़


  Nov 17, 2015| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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