ऐश की छाँव हो या ग़म की धूप
ज़िन्दगी को कहीं पनाह नहीं
एक वीरान राह है दुनिया
जिसपे कोई क़यामगाह नहीं।
Dec 13, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
ज़िन्दगी को कहीं पनाह नहीं
एक वीरान राह है दुनिया
जिसपे कोई क़यामगाह नहीं।
*क़यामगाह=विश्राम-गृह
~ अहकर काशीपुरी
~ अहकर काशीपुरी
Dec 13, 2015| e-kavya.blogspot.com
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