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Friday, December 11, 2015

रातें विमुख दिवस बेगाने




रातें विमुख दिवस बेगाने
समय हमारा,
हमें न माने!

लिखें अगर बारिश में पानी
पढ़ें बाढ़ की करूण कहानी
पहले जैसे नहीं रहे अब
ऋतुओं के रंग-
रूप सुहाने।

दिन में सूरज, रात चन्‍द्रमा
दिख जाता है, याद आने पर
हम गुलाब की चर्चा करते हैं
गुलाब के झर जाने पर।

हमने, युग ने या चीज़ों ने
बदल दिए हैं
ठौर-ठिकाने।

~ ओम प्रभाकर


  Nov 14, 2015| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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