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Friday, December 11, 2015

मँझधार से बचने के सहारे

मँझधार से बचने के सहारे नहीं होते
दुर्दिन में कभी चाँद सितारे नहीं होते
हम पार भी जाएँ तो भला जाएँ किधर से
इस प्रेम की सरिता के किनारे नहीं होते।

~ उदय भानु 'हंस'

  Nov 20, 2015| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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