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Monday, December 14, 2015

तू मेरे शौक़ की शिद्दत पे हैराँ

तू मेरे शौक़ की शिद्दत पे हैराँ
मैं तेरे क़र्ब की लज़्ज़त में गुम हूँ
हम इस पल में हैं दोनों क़ाबिले दीद
तुझे देखूँ या तुझको देखने दूँ

*शिद्दत=उग्रता; क़र्ब=यातना; लज़्ज़त=स्वाद

~ अहमद नसीम क़ासमी

  Dec 14, 2015| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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