क्यूँकि फ़र्बा न नज़र आवे तिरी ज़ुल्फ़ की लट
जोंक सी ये तो मिरा ख़ून ही पी जाती है
*फ़र्बा=हरी-भरी, सेहतमंद
~ मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
Dec 11, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
जोंक सी ये तो मिरा ख़ून ही पी जाती है
*फ़र्बा=हरी-भरी, सेहतमंद
~ मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
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