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Saturday, December 12, 2015

साक़ी ग़म-ए-दुनिया से

साक़ी ग़म-ए-दुनिया से हज़ार जाम पिला
मरने का नहीं मुझको ख़तर जाम पिला
जीने की दुआएं तो बुज़ुर्गों से मिलीं
ले वो भी तेरी नज़्र मगर जाम पिला।

~ अर्श मल्सियानी

  Dec 12, 2015| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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