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Friday, December 11, 2015

ज़ाहिर में जो आज़रदा तुम्हें पाता

ज़ाहिर में जो आज़रदा तुम्हें पाता हूँ
कुछ दिल में नहीं दिल को यह समझाता हूँ
होता है कभी अगली मोहब्बत का असर
सच कह दो कभी मैं तुम्हें याद आता हूँ

*ज़ाहिर=प्रत्यक्ष, प्रकट रूप में; आज़रदा=कष्टदायी

~ अमीर मीनाई

  Nov 15, 2015| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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