जाने क्या मौसम देखा है
जन्म 17 जुलाई 1943 को मेरठ के टेरा गांव में।
दुष्यन्त के बाद हिन्दी गज़ल में जो महत्वपूर्ण नाम उभर कर आये उनमे
विज्ञान व्रत का नाम बड़े आदर से लिया जाता है| जगजीत सिंह जैसे नामचीन
गायक ने विज्ञान व्रत की गज़लों को अपना रेशमी स्वर दिया है|
1966 में आगरा विश्व विद्यालय से फाईन आर्ट्स में स्नातकोत्तर उपाधि
कृतियाँ:
बाहर धूप खड़ी है ,चुप कि आवाज ,जैसे कोई लूटेगा ,तब तक हूँ ,महत्वपूर्ण
गज़ल संग्रह हैं खिड़की भर आकाश इनके दोहों का संकलन है |
बस अपना ही गम देखा है।
तूने कितना कम देखा है।
उसको भी गर रोते देखा
पत्थर को शबनम देखा है।
उन शाखों पर फल भी होंगे
जिनको तूने खम देखा है।
खुद को ही पहचान न पाया
जब अपना अल्बम देखा है।
हर मौसम बेमौसम जैसे
जाने क्या मौसम देखा है।
~ विज्ञान व्रत
Oct 21, 2012| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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