गुलशन की बहारों में, रंगीन नज़ारों में
जब तुम मुझे ढून्ढोगे, आखों में नमी होगी
महसूस तुम्हे हरदम बस मेरी कमी होगी
आकाश पे जब तारे, संगीत सुनाएँगे
बीते हुए लम्हों को, आखों में सजाएँगे
तन्हाई के शोलों से, जब आग लगी होगी
महसूस तुम्हे हरदम, फिर मेरी कमी होगी
सावन की हवाओं का, जब शोर सुनोगे तुम
बिखरे हुए माज़ी के औराक़ चुनोगे तुम
माहौल के चेहरे पर धूल जमी होगी
महसूस तुम्हे हरदम, फिर मेरी कमी होगी
*माज़ी=बीता हुआ; औराक़=किताब के पन्ने
जब नाम मेरा लोगे, तुम काँप रहे होंगे
आँसू भरे दामन से मूँह ढांप रहे होगे
गमगीन घटाओं की जब छाँव घनी होगी
महसूस तुम्हे हरदम, फिर मेरी कमी होगी
~ यूनुस हमदम
Apr 10, 2015 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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