जब तुझ को तमन्ना मेरी थी तब मुझ को तमन्ना तेरी थी
अब तुझ को तमन्ना ग़ैर की है तो तेरी तमन्ना कौन करे
~ मुईन अहसन जज़्बी
Apr 17, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
अब तुझ को तमन्ना ग़ैर की है तो तेरी तमन्ना कौन करे
~ मुईन अहसन जज़्बी
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