दिल की हर धड़कन है बत्तिस मील में ।
वो ज़िले में और हम तहसील में ।
उसकी आराइश की क़ीमत कैसे दूँ,
दिल को तोला नाक की इक कील में ।
*आराइश=शृंगार
कुछ रहीने मय नहीं मस्ते ख़राम,
सब नशा है सैण्डिल की हील में ।
*रहीने मय=शराब की अहसानमंद
यक-ब-यक लहरों में दम-सी आ गई,
लड़कियों ने पाँव डाले झील में ।
उम्र अदाकारी में सारी कट गई,
इक ज़रा से झूठ की तावील में ।
*तावील=बात घुमाना
आप कहकर देखिएगा तो हुज़ूर,
सर है ह़ाज़िर हुक्म की तामील में ।
सैकड़ों ग़ज़लें मुकम्मल हो गईं,
इक अधूरे शेर की तकमील में ।
*तकमील=पूरा करने की कोशिश
~ अना क़ासमी
May 10, 2011| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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