Disable Copy Text

Wednesday, April 8, 2015

पाँवों के नीचे कोई ज़मीन नहीं

चित्र में बायें  राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर, दुष्यन्त कुमार

तुम्हारे पाँवों के नीचे कोई ज़मीन नहीं ,
कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यकीन नहीं |

मैं बेपनाह अंधेरों को सुबह कैसे कहूँ
मैं इन नज़ारों का अंधा तमाशबीन नहीं |

तेरी जुबान है झूठी जम्हूरियत की तरह
तू एक ज़लील सी गाली से बेहतरीन नहीं |

तुम्हीं से प्यार जताएँ तुम्हीं को खा जायें ,
अदीब यों तो सियासी है पर कमीन नहीं |

तुझे क़सम है खुदी को बहुत हलाक न कर ,
तू इस मशीन का पुर्ज़ा है ,तू मशीन नहीं |

बहुत मशहूर हैं आयें जरुर आप यहाँ
ये मुल्क देखने के लायक़ तो है ,हसीन नहीं |

ज़रा सा तौर -तरीकों में हेर -फेर करो ,
तुम्हारे हाथ में कालर हो आस्तीन नहीं |

~ दुष्यंत कुमार

  Dec 12, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

No comments:

Post a Comment