उनसे मिलने जाना है।
खुद से मिलकर आना है।
सूरज को घर जाने दो
उसको कल फिर आना है।
मुझको सुबह से पहले ही
बस्ती बस्ती जाना है।
जाने किसका खत हूं मैं
नाम पता अनजाना है।
मैं तो अपने साथ रहूं
उसके साथ जमाना है।
~ विज्ञान व्रत
Oct 21, 2012| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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