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Wednesday, April 8, 2015

मजूदरी के पैसे हो तुम

 Vigyan Vrat
जन्म 17 जुलाई 1943 को मेरठ के टेरा गांव में।
दुष्यन्त के बाद हिन्दी गज़ल में जो महत्वपूर्ण नाम उभर कर आये उनमे विज्ञान व्रत का नाम बड़े आदर से लिया जाता है| जगजीत सिंह जैसे नामचीन गायक ने विज्ञान व्रत की गज़लों को अपना रेशमी स्वर दिया है| 
1966 में आगरा विश्व विद्यालय से फाईन आर्ट्स में स्नातकोत्तर उपाधि
कृतियाँ:
बाहर धूप खड़ी है ,चुप कि आवाज ,जैसे कोई लूटेगा ,तब तक हूँ ,महत्वपूर्ण गज़ल संग्रह हैं खिड़की भर आकाश इनके दोहों का संकलन है |

और सुनाओ कैसे हो तुम।
अब तक पहले जैसे हो तुम।

अच्‍छा अब ये तो बतलाओ
कैसे अपने जैसे हो तुम।

यार सुनो घबराते क्‍यूं हो
क्‍या कुछ ऐसे वैसे हो तुम।

क्‍या अब अपने साथ नहीं हो
तो फिर जैसे तैसे हो तुम।

ऐशपरस्‍ती। तुमसे। तौबा।
मजूदरी के पैसे हो तुम।

~  विज्ञान व्रत

  Nov 18, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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