अब क्या देखें राह तुम्हारी
बीत चली है रात
छोड़ो
छोड़ो ग़म की बात
थम गये आँसू
थक गईं अँखियाँ
गुज़र गई बरसात
बीत चली है रात
कब से आस
लगी दर्शन की
कोई न जाने बात
बीत चली है रात
तुम आओ तो
मन में उतरे
फूलों की बारात
बीत चली है रात
अब क्या देखें राह तुम्हारी
बीत चली है रात
~ फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
Apr 19, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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