Disable Copy Text

Saturday, June 14, 2014

इसी में इश्क़ की क़िस्मत

इसी में इश्क़ की क़िस्मत बदल भी सकती थी
जो वक़्त बीत गया मुझ को आज़माने में

~ कैफ़ी आज़मी

No comments:

Post a Comment