सावन की पुरवइया ग़ायब
पोखर, ताल-तलइया ग़ायब
कट गए सारे पेड़ गाँव के
कोयल औ' गोरइया ग़ायब
कच्चे घर तो पक्के बन गए
हर घर से अँगनइया ग़ायब
सोहर, कजरी, फगुआ भूले
बिरहा, नाच-नचइया ग़ायब
नोट निकलते ए टी एम से
पैसा, आना, पइया ग़ायब
दरवाज़े पर कार खड़ी है
बैल-भैंस और गइया ग़ायब
सुबह हुई तो चाय की चुस्की
चना-चबेना, लइया ग़ायब
भाभी देख रही हैं रस्ता
शहर गए थे, भइया ग़ायब
~ देवमणि पांडेय
पोखर, ताल-तलइया ग़ायब
कट गए सारे पेड़ गाँव के
कोयल औ' गोरइया ग़ायब
कच्चे घर तो पक्के बन गए
हर घर से अँगनइया ग़ायब
सोहर, कजरी, फगुआ भूले
बिरहा, नाच-नचइया ग़ायब
नोट निकलते ए टी एम से
पैसा, आना, पइया ग़ायब
दरवाज़े पर कार खड़ी है
बैल-भैंस और गइया ग़ायब
सुबह हुई तो चाय की चुस्की
चना-चबेना, लइया ग़ायब
भाभी देख रही हैं रस्ता
शहर गए थे, भइया ग़ायब
~ देवमणि पांडेय
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