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Wednesday, June 11, 2014

मेरी-तेरी निगाह में जो लाख इंतज़ार हैं


मेरी-तेरी निगाह में जो लाख इंतज़ार हैं
जो मेरे-तेरे तन-बदन में लाख दिल फ़िग़ार हैं
जो मेरी-तेरी उँगलियों की बेहिसी से सब क़लम नज़ार हैं !
*फ़िग़ार=घायल; बेहिसी=बेपरवाही; नज़ार=दुर्बल

जो मेरे-तेरे शहर की हर इक गली में
मेरे-तेरे नक़्श-ए-पा के बे-निशाँ मज़ार हैं
जो मेरी-तेरी रात के सितारे ज़ख़्म ज़ख़्म हैं
जो मेरी-तेरी सुबह के गुलाब चाक चाक हैं !
*नक़्श-ए-पा=पैरों के निशान; चाक=फटे हुये

ये ज़ख़्म सारे बे-दवा ये चाक सारे बे-रफ़ू
किसी पे राख चाँद की किसी पे ओस का लहू !

ये हैं भी या नहीं बता
ये है कि महज़ जाल है
मेरे तुम्हारे अंकबूत-ए-वहम का बुना हुआ !
*अंकबूत=मकड़ी

जो है तो इसका क्या करें
नहीं है तो भी क्या करें
बता, बता, बता, बता !

~ फ़ैज़ अहमद 'फ़ैज़'

2/1/2014 

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