Disable Copy Text

Wednesday, June 11, 2014

तिरछी नज़रों से न देखो

तिरछी नज़रों से न देखो आशिक़-ए-दिलगीर को
कैसे तीर-अंदाज़ हो सीधा तो कर लो तीर को ।

*दिलगीर=उदास, दुःखी

~ 'वज़ीर' लखनवी

   Jan 1, 2014

No comments:

Post a Comment