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Wednesday, June 11, 2014

इक शख़्स की चाहत का

इक शख़्स की चाहत का, अरमान रहा अक्सर
जो जान कर भी सब कुछ, अंजान रहा अक्सर
यह प्यार मोहब्बत का, क्या खेल है रब जाने
जिस ने की वफा उसका, नुकसान रहा अक्सर

आता है वो नींदों में, रहता भी वो ख़्वाबों में
मुझ पर ये बड़ा उसका, अहसान रहा अक्सर

~ 'उन्नावी'


2/10/2014

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