कोयलों ने क्यों पसंद किया
हमारा ही पेड़?
बुलबुलें हर मौसम में
क्यों इसी पर बैठी रहती हैं?
क्यों गौरैया के बच्चे हो रहें है
बेशुमार, इसी पेड़ पर?
क्यों गिलहरी को इस पर से उतरकर
छट पर चक्कर काटना अच्छा लगता है?
क्यों गिरगिट सोया रहता है यहाँ?
शायद इन मुफ्त के किराएदारों को
हमारा घर, पड़ोस अच्छा लगता है
वे देखते होंगे कि दो बूढ़े टिके हैं यहाँ।
आखिर इन दिनों में कोई ख़ासियत तो होगी ही,
जो इतने वर्षों से
कुर्सियाँ डाल कर बैठते रहे हैं पास-पास।
~ ऋतुराज
हमारा ही पेड़?
बुलबुलें हर मौसम में
क्यों इसी पर बैठी रहती हैं?
क्यों गौरैया के बच्चे हो रहें है
बेशुमार, इसी पेड़ पर?
क्यों गिलहरी को इस पर से उतरकर
छट पर चक्कर काटना अच्छा लगता है?
क्यों गिरगिट सोया रहता है यहाँ?
शायद इन मुफ्त के किराएदारों को
हमारा घर, पड़ोस अच्छा लगता है
वे देखते होंगे कि दो बूढ़े टिके हैं यहाँ।
आखिर इन दिनों में कोई ख़ासियत तो होगी ही,
जो इतने वर्षों से
कुर्सियाँ डाल कर बैठते रहे हैं पास-पास।
~ ऋतुराज
12/27/2013
No comments:
Post a Comment