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Wednesday, June 11, 2014

कबहुँ आप हँसे



कबहुँ आप हँसे,
कबहुँ नैन हँसे,
कबहुँ नैन के बीच,
हँसे कजरा।

कबहुँ टिकुली सजै,
कबहुँ बेनी सजै,
कबहुँ बेनी के बीच,
सजै गजरा।

कबहुँ चहक उठै,
कबहुँ महक उठै,
लगै खेलत जैसे,
बिजुरी औ बदरा।

कबहुँ कसम धरें,
कबहुँ कसम धरावै,
कबहूँ रूठें तौ,
कहुं लागै न जियरा ।

उन्है निहार निहार,
हम निढाल भएन,
अब केहि विधि,
प्यार जताऊं सबरा ।

~ अमित श्रीवास्तव


1/10/2014

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