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Thursday, June 5, 2014

चलती है जब नसीमे

चलती है जब नसीमे-ख़याले-ख़रामें-नाज़,
सुनता हूँ दामनों की तेरे सरसराहटें।

*नसीमे-ख़याले-ख़रामें-नाज़=प्रेमिका के चाल के ख़याल रूपी हवा

~ फ़िराक़ गोरखपुरी

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