Disable Copy Text

Monday, April 6, 2015

आपकी याद आती रही रात भर




आपकी याद आती रही रात भर
चश्म-ए-नम मुस्कुराती रही रात भर

रात भर दर्द की शम्मा जलती रही
गम की लौ थरथराती रही रात भर

बांसुरी की सुरीली सुहानी सदा
याद बन बनके आती रही रात भर

याद के चांद दिल में उतरते रहे
चांदनी जगमगाती रही रात भर

कोई दीवाना गलियों में फिरता रहा
कोई आवाज़ आती रही रात भर

~
मख़्दूम मोहिउद्दीन

   Mar 16, 2012| e-kavya.blogspot.com
   Submitted by: Ashok Singh 

1 comment:

  1. मख़दूम मोहिउद्दीन साहब की याद मे फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की लिखी हुयी ये गजल;

    आपकी याद आती रही रात-भर
    चाँदनी दिल दुखाती रही रात-भर

    गाह जलती हुई, गाह बुझती हुई
    शम-ए-ग़म झिलमिलाती रही रात-भर

    कोई ख़ुशबू बदलती रही पैरहन[1]
    कोई तस्वीर गाती रही रात-भर

    फिर सबा[2] सायः-ए-शाख़े-गुल[3] के तले
    कोई क़िस्सा सुनाती रही रात-भर

    जो न आया उसे कोई ज़ंजीरे-दर[4]
    हर सदा पर बुलाती रही रात-भर

    एक उमीद से दिल बहलता रहा
    इक तमन्ना सताती रही रात-भर

    1- वस्त्र, 2- ठंडी हवा, 3- गुलाब की टहनी की छाया, 4 - दरवाज़े कि साँकल

    ReplyDelete