
हँसती गाती तबीयत रखिये
बच्चों वाली आदत रखिये
शोला, शबनम, शीशे जैसी
अपनी कोई फितरत रखिये
हँसी, शरारत, बेपरवाही
इनमें अपनी रंगत रखिये
छेड़ - छाड़, आवारागर्दी
करने को भी फुरसत रखिये
भरे-भरे मानी की खा़तिर
कभी-कभी कोरा ख़त रखिये
काम के इसां हो जाओगे
हम जैसों की सोहबत रखिये
~ हस्तीमल ’हस्ती’
Nov 22, 2012| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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