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Friday, April 3, 2015

गम की बारिश ने भी तेरे




गम की बारिश ने भी तेरे नक्श को धोया नहीं
तूने मुझको खो दिया मैंने तुझे खोया नहीं

नींद का हल्का गुलाबी सा खुमार आंखों में था
यूँ लगा जैसे वो शब को देर तक सोया नहीं

हर तरफ़ दीवार-ओ-दर और उनमें आँखों का हुजूम
कह सके जो दिल की हालत वो लबे-गोया नहीं

जुर्म आदम ने किया और नस्ले-आदम को सजा
काटा हूँ जिंदगी भर मैंने जो बोया नहीं

जानता हूँ एक ऐसे शख्स को मैं भी 'मुनीर'
गम से पत्थर हो गया लेकिन कभी रोया नहीं

~ मुनीर नियाज़ी
 

  Jul 24, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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