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Saturday, April 4, 2015

ये क्या जगह है दोस्तो




ये क्या जगह है दोस्तो ये कौन सा दयार है
हद्द-ए-निगाह तक जहाँ ग़ुबार ही ग़ुबार है

ये किस मुकाम पर हयात मुझ को लेके आ गई
न बस ख़ुशी पे है जहाँ न ग़म पे इख़्तियार है

तमाम उम्र का हिसाब माँगती है ज़िन्दगी
ये मेरा दिल कहे तो क्या ये ख़ुद से शर्मसार है

बुला रहा क्या कोई चिलमनों के उस तरफ़
मेरे लिये भी क्या कोई उदास बेक़रार है

न जिस की शक्ल है कोई न जिस का नाम है कोई
इक ऐसी शै का क्यों हमें अज़ल से इंतज़ार है

~ शहरयार


  May 27, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh


इस गज़ल को शहरयार ने फ़िल्म "उमराव जान" के लिये लिखा था।
Asha Bhosle.
https://www.youtube.com/watch?v=fgCOzk_G93I

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