
मायूस तो हू वायदे से तेरे, कुछ आस नहीं कुछ आस भी है
मै अपने ख्यालो के सदके, तू पास नहीं और पास भी है
दिल ने ख़ुशी मांगी थी मगर, जो तुने दिया अच्छा ही दिया
जिस ग़म को ताल्लुक हो तुझसे वह रास नहीं और रास भी है
पलकों पे लरजते अश्को में तस्वीर झलकती है तेरी
दीदार की प्यासी आँखों को, अब प्यास नहीं और प्यास भी है
~ साहिर लुधियानवी
Oct 18, 2012| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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