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Friday, April 3, 2015

अपना मीत लिखें



दिल के उजले काग़ज़ पर हम कैसा गीत लिखें
बोलो तुम को ग़ैर लिखें या अपना मीत लिखें

नीले अम्बर की अंगनाई में तारों के फूल
मेरे प्यासे होंठों पर हैं अंगारों के फूल
इन फूलों को आख़िर अपनी हार लिखें या जीत लिखें

कोई पुराना सपना दे दो और कुछ मीठे बोल
लेकर हम निकले हैं अपनी आँखों के कश-कोल
हम बंजारे प्रीत के मारे, हम कैसा संगीत लिखें

शाम खड़ी है एक चमेली के प्याले में शबनम
जमुना जी की उँगली पकड़े खेल रहा है मधुबन
ऐसे में गंगा जल से राधा की पावन प्रीत लिखें

~ राही मासूम रज़ा


  Jul 19, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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