RIP Rakesh Khanna
ये ज़िंदगी के मेले,
दुनिया में कम न होंगे,
अफसोस हम न होंगे !
इक दिन पड़ेगा जाना, क्या वक़्त, क्या ज़माना
कोई न साथ देगा, सब कुछ यहीं रहेगा
जाएंगे हम अकेले, ये ज़िंदगी के मेले
दुनिया है मौज-ए-दरिया, क़तरे की ज़िंदगी क्या
पानी में मिल के पानी, अंजाम ये के पानी
दम भर को सांस ले ले, ये ज़िंदगी के मेले
होंगी यही बहारें, उल्फ़त की यादगारें
बिगड़ेगी और चलेगी, दुनिया यही रहेगी
होंगे यही झमेले, ये ज़िंदगी के मेले
दुनिया में कम न होंगे,
अफसोस हम न होंगे !
~ शक़ील
Jul 19, 2012| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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