धूप है क्या और साया क्या है अब मालूम हुआ
ये सब खेल तमाशा क्या है अब मालूम हुआ
हँसते फूल का चेहरा देखूं और भर आई आँख
अपने साथ ये किस्सा क्या है अब मालूम हुआ
हम बरसों के बाद भी उनको अब तक भूल न पाए
दिल से उनका रिश्ता क्या है अब मालूम हुआ
सेहरा सेहरा प्यासे भटके सारी उम्र जले
बादल का इक टुकड़ा क्या है अब मालूम हुआ
~ ज़फर गोरखपुरी
Jul 27, 2012| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
https://www.youtube.com/watch?v=bo4CyMHd5hI
Dhoop hai kya aur saya kya (Jagjit Singh)
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