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Thursday, April 2, 2015

मैं और मेरी तन्हाई



आवारा हैं गलियों में मैं और मेरी तन्हाई
जाएँ तो कहाँ जाएँ हर मोड़ पे रुस्वाई

ये फूल से चेहरे हैं हँसते हुए गुलदस्ते
कोई भी नहीं अपना बेग़ाने हैं सब रस्ते
राहें हैं तमाशाई राही भी तमाशाई
मैं और मेरी तन्हाई

अरमान सुलगते हैं सीने में चिता जैसे
क़ातिल नज़र आती है दुनिया की हवा जैसे
रोती है मेरे दिल पर बजती हुई शहनाई
मैं और मेरी तन्हाई

आकाश के माथे पर तारों का चराग़ां है
पहलू में मगर मेरे ज़ख़्मों का गुलिस्तां है
आँखों से लहू टपका दामन में बहार आई
मैं और मेरी तन्हाई

हर रंग में ये दुनिया सौ रंग दिखाती है
रोकर कभी हँसती है हँस कर कभी गाती है
ये प्यार की बाहें हैं या मौत की अँगड़ाई
मैं और मेरी तन्हाई

~ अली सरदार जाफ़री


  Sep 30, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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