
आवारा हैं गलियों में मैं और मेरी तन्हाई
जाएँ तो कहाँ जाएँ हर मोड़ पे रुस्वाई
ये फूल से चेहरे हैं हँसते हुए गुलदस्ते
कोई भी नहीं अपना बेग़ाने हैं सब रस्ते
राहें हैं तमाशाई राही भी तमाशाई
मैं और मेरी तन्हाई
अरमान सुलगते हैं सीने में चिता जैसे
क़ातिल नज़र आती है दुनिया की हवा जैसे
रोती है मेरे दिल पर बजती हुई शहनाई
मैं और मेरी तन्हाई
आकाश के माथे पर तारों का चराग़ां है
पहलू में मगर मेरे ज़ख़्मों का गुलिस्तां है
आँखों से लहू टपका दामन में बहार आई
मैं और मेरी तन्हाई
हर रंग में ये दुनिया सौ रंग दिखाती है
रोकर कभी हँसती है हँस कर कभी गाती है
ये प्यार की बाहें हैं या मौत की अँगड़ाई
मैं और मेरी तन्हाई
~ अली सरदार जाफ़री
Sep 30, 2012| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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