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Wednesday, April 1, 2015

जल भी चुके परवाने



जल भी चुके परवाने हो भी चुकी रुसवाई
अब ख़ाक उड़ाने को बैठे हैं तमाशाई
रुसवाई=बेइज्ज़ती

तारों की ज़िया दिल में एक आग लगाते हैं
आराम से रातों को सोते नहीं सौदाई
ज़िया= प्रकाश, चमक, सौदाई=पागल(पन)

रातों की उदासी में ख़ामोश है दिल मेरा
बेहिस हैं तमन्नाएं नींद आये के मौत आई

अब दिल को किसी करवट आराम नहीं मिलता
इक उम्र का रोना है दो दिन की शनासाई
शनासाई=जान पहचान

~ शहज़ाद अहमद


  Nov 11, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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