
जल भी चुके परवाने हो भी चुकी रुसवाई
अब ख़ाक उड़ाने को बैठे हैं तमाशाई
रुसवाई=बेइज्ज़ती
तारों की ज़िया दिल में एक आग लगाते हैं
आराम से रातों को सोते नहीं सौदाई
ज़िया= प्रकाश, चमक, सौदाई=पागल(पन)
रातों की उदासी में ख़ामोश है दिल मेरा
बेहिस हैं तमन्नाएं नींद आये के मौत आई
अब दिल को किसी करवट आराम नहीं मिलता
इक उम्र का रोना है दो दिन की शनासाई
शनासाई=जान पहचान
~ शहज़ाद अहमद
Nov 11, 2012| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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