
दीप घर घर में जले हों
पुष्प हर मन में खिले हों
इस अमावस रात के जैसी न कोई बात हो ।
दीपावली सी रात हो ।
दीपावली सी रात हो ।।
मन में संशय न रचे हों
मैल, रंजिश न बचे हों
दीप लड़ियों से सुसज्जित दूर तक ये प्रांत हो ।
दीपावली सी रात हो ।
दीपावली सी रात हो ।।
~ अशोक सिंह
Nov 12, 2012| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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